राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) द्वारा किए गए
निगरानी अध्ययनों में वायरोलॉजी का विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता
है जिससे कोलकाता और उसके आसपास इलाके में विभिन्न दस्तैविक वायरस
की ईटियोलॉजिकल भूमिका को समझना संभव होता है तथा बीमारी से
स्वास्थ्य समस्या पर असर (disease burden) सम्पर्कित तथ्य प्राप्त
होता है| ये विभाग स्नातक और डॉक्टरेट के छात्रों और कर्मचारियों
को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है ताकि ये देश भर में दस्तों के रोगों
का अध्ययन करने में सक्षम हो सकें |
अनुसंधान कार्यक्रमों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण
और वैज्ञानिकों का सहयोग के साथ अंदर का परियोजनाएं और बाह्य
परियोजनाएं शामिल हैं। वर्तमान कार्यक्रम आईसीएमआर, सीडीसी अटलांटा,
सप्पोरो मेडिकल यूनिवर्सिटी, ओकायामा यूनिवर्सिटी, जापान इत्यादि
से जुड़े हुए हैं।
इस विभाग ने इन्फ्लूएंजा वायरस पर अध्ययन शामिल करने के लिए अपनी
कार्यकलाप को बढ़ाया है और परिसंचरण के बीच अनुवांशिक विविधता की
नज़दीकी निगरानी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा रोग नियंत्रण और
रोकथाम केंद्र, अटलांटा, संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से नियमित
निगरानी कार्यक्रम आयोजित किया है। यह विभाग संदिग्ध वायरल रोगों
के प्रकोप के दौरान जाँच पड़ताल करने के लिए आवश्यक प्रयोगशाला
सुविधाओं को भी क़ायम रखते है।
विभाग के उद्देश्य :-
1. आंत्रिक वायरस द्वारा प्रेरित दस्त की निगरानी और बीमारी से
स्वास्थ्य समस्या पर असर|
2. कोलकाता और उसके आसपास फैलने वाले आंत्रिक वायरस, खास कर
रोटावायरस, कैलिसिवायरस (नोरोविरस और सैपोवायरस), एस्ट्रोवायरस,
पिकोबिर्नावायरस और एडनोवायरस पर नजर रखते हुए आणविक जातिवृत्तीय
का विश्लेषण|
3. रोटावायरस और पोषिता कोशिका का परस्परिक क्रिया के दौरान संकेत
क्रियाविधि का विश्लेषण तथा वायरल प्रतिकृति और रोगजन्य के लिए
आवश्यक पोषिता कोशीय प्रोटीन का अध्ययन।