बैक्टीरियोलॉजी / जीवाणुविज्ञान विभाग के बहुविध कार्य होते हैं
जिनमें क्रमिक निगरानी के माध्यम से अस्पताल / समुदाय से एकत्र किए
गए मल नमूने से बैक्टीरिया का अलगाव और पहचान, टीका परीक्षण अध्ययन,
अन्य संस्थानों द्वारा भेजी गई सदृश आंत्र बेक्टीरिया का पुष्टिकरण
एवं सीरोटाइपिंग तथा संभावित निदानी शास्त्री अधिकरणों की पहचान के
प्रति प्रकोप अन्वेष्ण सम्मिलित है|
मौलिक शोध घटकों में जीवाणु उपभेदों के आणविक शिनाख्तीकरण
(molecular typing) , विषाणु जीन का पता लगाना, रोगाणुरोधी
संवेदनशीलता प्रतिरूप (antimicrobial susceptibility patterns),
प्रतिरोध तंत्र और नये विषाक्त पदार्थ की पहचान शामिल हैं। हाल ही
में उभरा हुआ V. cholerae के हाइब्रिड El Tor के भिन्न उपभेदों का
पहचान किया गया है और इसके भारत के विभिन्न राज्यों में फैलने पर
भी नज़र रखा गया है।
V. कोलेरा O1 और O139 के लिए एंटीसेरा अनुसंधान उद्देश्यों के लिए
विभिन्न संस्थानों को उत्पादित और आपूर्ति किया गया था। डुओडनल
अल्सर (duodenal ulcer) रोगियों और स्पर्शोन्मुख व्यक्तियों
(asymptomatic individuals) से एकत्रित हेलिकोबैक्टर पिलोरी उपभेदों
को भी आणविक स्तर पर व्यापक रूप से चिह्नित किया गया है। इस विभाग
में अच्छी तरह से पहचान किये गए बैक्टीरियल नस्लों और मानक नस्लों
का बड़ा संग्रह है। कुछ अविरत अन्वेषण गतिविधियों को आईसीएमआर (
ICMR) द्वारा समर्थित किया जाता है |
इसके अलावा, बहुसंख्यक परियोजनाओं को कोरिया के अंतर्राष्ट्रीय
वैक्सीन संस्थान, अमेरिका के मेलिंडा एंड गेट्स रिसर्च फाउंडेशन,
जापान के स्वास्थ्य, श्रम तथा परिवार कल्याण मंत्रालय और ओकायामा
विश्वविद्यालय द्वारा निधि प्रदत्त है|
वी. कॉलरा एवं वी. पैराहीमोलाईटिक्स के आणविक वर्गीकरण हेतु पल्स
फील्ड जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस से संबधित कार्य पल्स नेट एशिया
पेसिफिक अनुसंधान गतिविधि का एक अंग है| पारम्पारिक
सुक्ष्मजीवविज्ञान एवं आणविक वर्गीकरण पर कई प्रशिक्षण कार्यक्रम
राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता अभिकरण के समर्थन से
आयोजित किये गये थे|