ICMR - NICED


ICMR-National Institute of Cholera and Enteric Diseases

आई सी एम आर - राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान

Department of Health Research, Ministry of Health and Family Welfare, Government of India
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

विभागसमूह

महामारी / जानपदिक विज्ञान

Epidemiology

राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) के महामारी विज्ञान विभाग, दस्त के महामारी विज्ञान सम्बंधित अनुसंधान परियोजनाओं में शामिल है; यथा - अवलोकन, हस्तक्षेप और परिचालन अनुसंधान परियोजनाओं जैसे कि बच्चों के लिए सूक्ष्म पोषक पूरकता तथा उन्हें albendazole (कृमिनाशक दवा) प्रदान करना और दस्त की घटनाओं तथा बृद्धि पर इसके प्रभाव संलग्न रहे हैं।

राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) ने अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान, सियोल, कोरिया के सहयोग से २००२ में पूर्वी कोलकाता की गरीब गंदी बस्ती के इलाका की जनसंख्या में कॉलरा और टाइफाइड बुखार पर सटीक महामारी विज्ञान, सामाजिक-व्यवहार और अर्थशास्त्र आंकड़ा उत्पन्न करने के लिए "पूर्व कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में टाइफाइड बुखार और कोलेरा के लिए निगरानी" नामक एक परियोजना शुरू की थी जिससे इन दो बीमारियों के खिलाफ टीकों के क्षेत्र परीक्षण की तैयारी हो सके| यह मूल रूप से एक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा पर आधारित अनिवारक निगरानी है; कोलकाता के वार्ड २९ और ३० में की शहरी गंदी बस्ती जनसंख्या (६०,००० ) के बीच कुछ प्रत्यारोपित मुद्दा नियंत्रण अध्ययन हुआ है ।

इस परियोजना के बाद २००४ में, यहां के शहरी गंदी बस्तीयों की ६०,००० आबादी के बीच ६९% आवृत्त क्षेत्र में "पूर्व कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में टाइफोइड बुखार के खिलाफ Vi पोलिसाक्राइड टीका द्वारा सुरक्षा के अनियमित नियंत्रित मूल्यांकन" नामक टाइफाइड (वीआई) टीकाकरण परीक्षण किया गया था ।

इस टीका की प्रभावशीलता का अनुमान लगाने के लिए यहां की आबादी पर २ साल तक अध्ययन किया गया था। यह अध्ययन २००७ में समाप्त हुआ। इसके साथ साथ राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) - IVI ने १ साल और उससे अधिक उम्र के स्वस्थ स्वयंसेवकों के बीच कोलकाता में बिवलेंट किल्ड होल सेल (Bivalent Killed Whole Cell) मौखिक कॉलरा टीका की सुरक्षा और प्रतिरक्षा की जांच करने के लिए चरण II परीक्षण शुरू किया। इसके तुरंत बाद वैसे ही टीका पर कोलकाता नगर निगम के वार्ड २९, ३० और ३३ के शहरी गंदी बस्तीयों की ११०,००० आबादी के बीच एक चरण III का अध्ययन किया गया जिसका शीर्षक "पूर्वी कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में द बिवलेंट किल्ड होल सेल मौखिक कॉलरा टीका" था | यह एक डबल खुराक टीका थी जिसका खुराक के बीच में 2 सप्ताह के अंतराल था| दो खुराक का आवृत्त क्षेत्र ६१% था| यह टीका सितम्बर २००६ में समाप्त हुआ था| टीकाकरण के बाद की निगरानी 3 साल तक जारी रहेगी।

इन परीक्षणों में अंतर्निहित टाइफोइड बुखार और कॉलरा पर सामाजिक-व्यवहार और आर्थिक अध्ययन थे जिससे समाज में कॉलरा और टाइफोइड बुखार की आर्थिक लागत और इन बीमारियों के बारे में समुदाय की धारणा का अनुमान लगाया जा सकता है| २००७ साल में राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) - IVI ने कॉलरा टीका की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की तुलना करने के लिए नियमित खुराक के मुकाबले एक खुराक देकर एक परीक्षण किया। परीक्षण का प्रारंभिक नतीजे में देखा गया की टीके की एक खुराक के बाद विब्रियोसाइड टाइटर में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई जो भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में विशेष रूप से कॉलरा महामारी से लड़ने के लिए स्थानिक इलाकों में इस टीका को शुरू करने के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है।

राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) ने जापान के यकल्ट होन्सा के सहयोग से पहले से ही एक बड़े समुदाय आधारित बेतरतीब प्लेसबो-नियंत्रित अविवेचित परीक्षण किया है जिससे १ से ५ साल की उम्र के बच्चों में दस्तों की बीमारियों को रोकने में प्रोबियोटिक की प्रभावकारिता का अध्ययन किया जा सके । डायरिया मामलों पर समुदाय में अनुवर्ती कार्यवाई की गई थी| इस अध्ययन में शिशुओं की एन्थ्रोपोमेटिक माप रोग उत्पादक जीवों की पहचान एवं आन्त्रिक माइक्रोफ्लोरा सम्मिलित है| इसका अंतिम अध्ययन चल रहा है।

मैरीलैंड विश्वविद्यालय के सहयोग से 5 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच दस्त की बीमारियां के बोझ सम्बंधित एक बहु केंद्रित अध्ययन पहले से ही चल रही हैं| कोलकाता में शहरी गंदी बस्तियों में रहनेवालो के २,००,००० आबादी के बीच यह एक बड़ा समुदाय आधारित केस नियंत्रण अध्ययन है। इस अध्ययन में गंभीर दस्त के मामलों की पहचान और सम्बंधित मल नमूना संग्रह तथा मिलान नियंत्रणों की पहचान शामिल और अंत में दोनों समूहों में दस्तजनक रोगजनकों का अलगाव शामिल है| बाद में उस आयु वर्ग में सुरक्षा और रोगक्षमजनकता सुनिश्चित करने के लिए शिशुओं के बीच एक ही कॉलरा टीका के साथ एक चरण II परीक्षण आयोजित करना है।

आनेवाले वर्षों में राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) के महामारी विज्ञान विभाग मुख्यतः IVI के सहभागिता से विभिन्न टीका परीक्षण करवाने की परिकल्पना की है | २ से ७ साल के बच्चों के साथ लाइव मौखिक टाइफाइड टीका (ZH09) के एक चरण II परीक्षण उनका सुरक्षा और प्रतिरक्षाजनकता के लिए किया जायगा जिसके पश्चात वही टीका के साथ बड़े पैमाने पर समुदाय आधारित चरण III परीक्षण सम्पन्न होगा|

राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (NICED) ने बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा वित्त पोषित एप्लाइड स्टडीज सोसाइटी के सहभागिता से एक लाइव मौखिक कॉलरा टीका (VA 1.4) का एक चरण II सुरक्षा परीक्षण भी करने का परिकल्पना किया है जिसके पश्चात १,३०,००० के आबादी में बड़े पैमाने पर एक चरण III का भी अध्ययन होगा|
भविष्य के लिए परिकल्पित अध्ययन में Peru 15 (लाइव मौखिक कॉलरा टीका) का चरण II परीक्षण, आबादी का एक और समूह संदर्भ जनसंख्या के रूप में रखते हुए स्थानिक क्षेत्रों में मारे गए मौखिक कोलेरा टीका के साथ सामूहिक टीकाकरण परियोजना तथा अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान के सहयोग से पहले दिए गए कोलेरा टीका की एक खुराक की दक्षता अध्ययन शामिल है |
 

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